हिन्दी भाषा और बोली
भाषा की परिभाषा- भाषा शब्द की उत्पति भाष् नाम की धातु से हुयी है। भाषा एवं विचारों की अभिव्यक्ति का प्रमुख साधन भाषा है। ‘‘भाषा उच्चारण अवयवों से उच्चरित ध्वनि प्रतीकों की वह व्यवस्था है, जिसके द्वारा किसी भाषा-समाज के लोग आपस में विचारों का आदान-प्रदान करते है।’’
इस परिभाषा से भाषा के निम्न लक्षण प्रकट होते हैः-
- भाषा उच्चारण अवयवों से उच्चरित होती है।
- भाषा पर व्याकरण का अंकुश होता है।
- भाषा समाज में विचार विनिमय का साधन है।
- भाषा ध्वनि संकेतों का परम्परागत एवं रूढ़ प्रयोग है।
- भाषा सार्थक शब्दों का व्यवस्थित समूह है।
भाषा को तीन भागों में बाँटा गया है।
- मौखिक भाषा
- लिखित भाषा
- सांकेतिक भाषा
भाषा में मुख्य 4 भाषा परिवार माने जाते है।
- इण्डो-यूरोपियन (भारोपीय भाषा) - यह भाषा सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है जिसे भारत में 77 प्रतिशत लोग बोलते है।
- द्रविड़ भाषा जिसमें तमिल, तेलुगु, मल्यालम, आदि भाषा जिसे भारत में 20.61 प्रतिशत लोग बोलते है।
- आस्ट्रोएशियाटिक (आस्ट्रिक) या मुण्डा भाषा - यह भाषा भारत में सिर्फ 1.2 प्रतिशत लोग बोलते है।
- सिनो-तिब्बत (चीन या तिब्बत से निकली हुयी भाषा) - यह भारत में 0.8 प्रतिशत लोग बोलते हे।
नोटः- 2011 जनगणना के अनुसार भारत में बोली जाने वाली मातृ भाषा
- हिन्दी - 43.63 प्रतिशत
- बंगाली - 4.03 प्रतिशत
- मराठी - 6.86 प्रतिशत
- तेलुगु - 6.70 प्रतिशत
हिन्दी का विकास
वैदिक संस्कृत - लौकिक संस्कृत - पालि - प्राकृत - अपभ्रंश - अवह्टट - हिन्दी
हिन्दी आर्य भाषा है।
भाषा के तीन रूप होते है।
- बोली - सामान्यतः छोटी क्षेत्र में बोली जाती है। जैसे - हरियाणी, कन्नौजी, कशिका
- उपभाषा - क्षेत्र विस्तृत + साहित्यिक की रचना होने लगे तो भाषा उपभाषा हो जाती है। जैसे - पूर्वी हिन्दी इत्यादि।
- भाषा - विस्तृत + साहित्यिक रचना + मानक व्याकरण होने लगे तब भाषा कहते है।
हिन्दी की बोलियाँ
हिन्दी के अन्तर्गत पांच उपभाषाएं एवं अठारह बोलियां आती हैं। इनका विवरण निम्नवत् है-
पश्चिमी हिन्दी -
- ब्रजभाषा
- कन्नौजी
- बुन्देली
- बांगरू (हरियाणी)
- खड़ी बोली (कौरवी)
पूर्वी हिन्दी -
- अवधी
- बघेली
- छत्तीगसगढी
बिहारी हिन्दी
- मैथिली
- मगही
- भोजपुरी
राजस्थानी हिन्दी
- मेवाती
- मालवी
- मारवाड़ी
- जयपुरी (ढूढाँणी)
पहाड़ी हिन्दी
- गढ़वाली
- कुमायंनी
- नेपाली
हिन्दी वर्णमाला - कुल वर्णां की संख्या 52
- स्वर - अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ
- अनुस्वार - अं
- विसर्ग - अः
- व्यंजन -
क, ख, ग, घ, ड़ - कंठ्य से ध्वनि निकलती है।
च, छ, ज, झ, ´ - तालव्य से ध्वनि निकलती है।
ट, ठ, ड, ढ, ण - मूर्धन्य से ध्वनि निकलती है।
त, थ, द, ध, न - दंत्य से ध्वनि निकलती है।
प, फ, ब, भ, म - ओष्ठ्य से ध्वनि निकलती है।
य, र, ल, व - अंतस्थ से ध्वनि निकलती है।
श, ष, स, ह - ऊष्म से ध्वनि निकलती है।
क्ष, त्र, ज्ञ, श्र - संयुक्त व्यंजन से ध्वनि निकलती है।
ड़, ढ़ - द्विगुण व्यंजन से ध्वनि निकलती है।
व्यंजनों का वर्गीकरण उच्चारण एवं उच्चारण के लिए किए गए प्रयत्न के आधार पर भी किया जाता है। हिन्दी में वर्णमाला की एकरूपता एवं निश्चितता नहीं है। वर्णाें की संख्या के सम्बन्ध में भी विद्वानों में मतभेद है।
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2 Comments
Nice info
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